Join us on Facebook
Become a GFWA member

Site Announcements

Invitation to RPS SAVANA Allottees to join Case in NCDRC against RPS Infrastructures Ltd


Have you submitted a rating and reviewed your project?
Rate & Review your project now! Submit your project and review.
Read Reviews! Share your feedback!


** Enhanced EDC Stayed by High Court **

Forum email notifications...Please read !
Carpool from Greater Faridabad to Noida
Carpool from Greater Faridabad to GGN


Advertise with us

All RTI related information

Haryana RTI Commissioner: Information can't be denied on pretext that matter is subjudice

Postby dheerajjain » Sun Sep 07, 2014 4:22 pm

Great work done by Triveni buyers and Mr. Raman Sharma in getting this order passed which says that Director General, Town and Country Planning, Haryana can't deny information on pretext that matter is pending before Court of Law between buyers and builders.

Amar Ujala Newspaper, 7th September, 2014

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomar ... _002103006

बिल्डर की जानकारी नहीं छुपा सकेगा डीटीसीपी
त्रिवेणी मामले को लेकर राज्य सूचना आयोग ने लगाई फटकार
कुंदन तिवारी
फरीदाबाद। डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) अब बिल्डरों से संबंधित कोई भी जानकारी छिपा नहीं सकेगा। अगर बायर्स की ओर से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी गई हैै, तो अधिकारियों को हर हाल में देनी ही पड़ेगी।
उनका यह बहाना नहीं चलेगा कि बायर्स-बिल्डर के बीच का कोई मामला कोर्ट में चल रहा है। यह आदेश 03 सितंबर को राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के आयुक्त समीर माथुर ने डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को दिए हैं।
यह आदेश पत्र जारी कराने में अहम भूमिका सेक्टर-78 के त्रिवेणी ग्लेक्सी में फ्लैट बुक करवाने वाले रजनीश जैन (नोएडा के सेक्टर-50 स्थित एटीएस ग्रीन-1 निवासी) ने निभाई है। उन्होंने 10 जून, 2013 को डीटीसीपी से आरटीआई में जानकारी मांगी थी कि त्रिवेणी इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ ऑफिसर लिक्वीडेटर के पास कितने रुपये का क्लेम डाला गया है। अगर डाला गया है तो उसकी जानकारी दी जाए, साथ ही उसकी कॉपी भी उन्हें उपलब्ध कराई जाए, लेकिन 25 जुलाई, 2013 को अधिकारियों की ओर से दिया गया जवाब सुनकर रजनीश जैन दंग रह गए, क्योंकि प्लानिंग के अधिकारियों ने उसमें स्पष्ट लिखा था कि क्लेम तो डाला गया है, लेकिन उसे न तो बताया जा सकता है और न ही कॉपी दी जा सकती है, क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जवाब में नाखुश जैन ने अपील डाली, उसमें भी अधिकारियों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
इसके बाद उन्होंने गुड़गांव के मालबू टाउन निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रमन शर्मा से संपर्क कर इस मामले पर विचार विमर्श किया, जिसमें शर्मा ने जैन को स्पष्ट किया कि डीटीसीपी जानकारी देने से मना नहीं कर सकता।
इसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग से शिकायत की, जिसके बाद रजनीश ने 4 अप्रैल, 2014 को आयोग के पास शिकायत डाली। इसकी 06 जून, 2014 को सुनवाई हुई और डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों को फटकार लगाई गई।
इस मामले पर तीन आदेश जारी हुए, जिसमें विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई गई कि त्रिवेणी के मामले पर तो बायर्स ने आप को पार्टी तक नहीं बनाया है, ऐसे में आप सीधे कोर्ट कैसे जा सकते हैं।
कोर्ट की ओर से आप को ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है कि आप किसी को सूचना मांगने पर जानकारी देने से इनकार करें। मांगी गई जानकारी 15 दिन के भीतर दें।
निवेशक बोले सही फैसला
ऑस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर जसविंदर सैंबी ने भी त्रिवेणी प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक करा रखा है। उनका कहना है कि यह बायर्स के लिए बहुत बड़ा फैसला है, क्योंकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों व बिल्डर की सांठगांठ के कारण सूचना मिलने में दिक्कत आ रही थी। ऐसे में अब इस फैसले पूरे गठजोड़ को तोड़ने में मदद मिलेगी।
User avatar
dheerajjain
GFWA Member
GFWA Member
 
Posts: 2010
Images: 0
Joined: Mon Mar 15, 2010 4:55 pm
Location: Delhi

Return to RTI Section

 


  • Related topics
    Replies
    Views
    Last post

Who is online

Users browsing this forum: No registered users and 1 guest